Thyroid ka pregnancy Par kya Asar Hota hai

 Thyroid ka pregnancy Par kya Asar Hota hai

थायराइड का गर्भावस्था पर क्या असर होता है।


  • गर्भावस्था के दौरान अधिक थायरॉयड हार्मोन होने से मां और बच्चे दोनों की सेहत पर गहरा असर पड़ सकता है। कई मामलों में, मां को लगातार उल्टी और मतली जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

  • गर्भावस्था के दौरान थायरॉयड के असंतुलन से मां और बच्चे, दोनों के लिए गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। लगातार उल्टी और मतली, इस स्थिति के कुछ कष्टदायक लक्षणों में से हैं।"
  • "हाइपरथायराइडिज्म गर्भावस्था की खुशी को कड़वा कर सकता है। मां को लगातार उल्टी और मतली जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जो उसके स्वास्थ्य और बच्चे के विकास को प्रभावित कर सकती है।

  • Thyroid ka pregnancy Par kya Asar Hota hai


    थायराइड और गर्भावस्था का असर:

    थायराइड ग्रंथि का असंतुलन (हाइपरथायरायडिज्म या हाइपोथायरायडिज्म) गर्भावस्था पर महत्वपूर्ण असर पड़ता है:


     (काम थायराइड हार्मोन):-


    गर्भपात का जोखिम बढ़ता है।
    बच्चों का विकास, विशेष रूप से दिमाग और तंत्रिका तंत्र, पर असर होता है।
    प्रीक्लेम्पसिया और समय से पहले डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है।

    हाइपरथायरायडिज्म (ज्यादा थायराइड हार्मोन):-


    उच्च रक्तचाप और हृदय गति की समस्या हो सकती है।
    Bacche का जन्म के समय कम वजन होने का जोखिम होता है।

    थायराइड किस उम्र में ज्यादा होता है?

    Thyroid ka pregnancy Par kya Asar Hota hai


    थायराइड के मुद्दे किसी भी उम्र में हो सकते हैं, लेकिन:
    महिलाओं में ये ज़्यादा 20-40 साल के बीच होता है।
    गर्भावस्था, रजोनिवृत्ति, या यौवन के दौरन ज्यादा जोखिम होता है।

    Thyroid Bimari Kyu Aur Kaise Hoti Hai?


    आनुवंशिक कारक: अगर परिवार में किसी को थायराइड की समस्या है, तो आपका जोखिम ज़्यादा होता है।

    ऑटोइम्यून रोग: हाशिमोटो थायरॉयडिटिस (हाइपोथायरायडिज्म) और ग्रेव्स रोग (हाइपरथायरायडिज्म)।

    आयोडीन की कमी/अतिरिक्तता: आयोडीन की कमी या ज्यादा लेना थायराइड के कार्य को बाधित कर सकता है।

    तनाव और जीवनशैली: खराब आहार, तनाव और व्यायाम की कमी भी ट्रिगर हो सकते हैं।

    दवाएँ या विकिरण: विकिरण जोखिम या कुछ विशिष्ट दवाएँ थायरॉयड पर असर करती हैं।


    थायराइड का इलाज:


    जीवनशैली में बदलाव: स्वस्थ आहार, आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थ (नमक, समुद्री भोजन) और नियमित व्यायाम।

    औषधियाँ:

    हाइपोथायरायडिज्म: लेवोथायरोक्सिन (हार्मोन प्रतिस्थापन)।

    हाइपरथायरायडिज्म: एंटी-थायराइड दवाएं (मेथिमाज़ोल, प्रोपाइल्थियोरासिल)।

    सर्जरी: थायरॉइड ग्रंथि का एक हिस्सा या पूरी ग्रंथि को हटाना, अगर दवाएं काम न करें।

    रेडियोधर्मी आयोडीन थेरेपी: हाइपरथायरायडिज्म के लिए उपयोग होती है।

    थायराइड का आंखो पर क्या असर होता है।:


    ग्रेव्स रोग: हाइपरथायरायडिज्म के मामले में आँखों में सूजन, लालिमा और उभार (प्रॉप्टोसिस) हो सकता है।

    सूखी आंखें: थायराइड असंतुलन से आंखें सूखी और चिड़चिड़ा महसूस हो सकती हैं।

    दोहरी दृष्टि: गंभीर मामलों में आंखों का संरेखण प्रभाव होता है, जो दोहरी दृष्टि का कारण बनता है।

    दृष्टि हानि: अगर इलाज न किया जाए तो ऑप्टिक तंत्रिका क्षति हो सकती है।

    अगर थायराइड का मुद्दा हो, तो समय पर निदान और उपचार बहुत जरूरी है। नियमित डॉक्टर परामर्श और रक्त परीक्षण (टीएसएच, टी3, टी4) से थायराइड का प्रबंधन किया जा सकता है।


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